ऑपरेशन सिंदूर और भारतीय सेना के सम्मान में विशेषांक का लोकार्पण : योगाचार्य विष्णु आर्य ने किया विमोचन
डॉ. ललित मोहन के देशभक्ति गीतों की सराहना,जन-जन में जगा रहे देशभक्ति की भावना
सागर। योग निकेतन संस्थान सागर में विजय पथ के 25वें विशेषांक (रजत जयंती अंक) का लोकार्पण स्वामी ध्यानेश्वर सरस्वती योगाचार्य विष्णु आर्य ने गरिमामय आयोजन में किया।

इस अवसर पर योगाचार्य विष्णु आर्य ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर और भारतीय सेना के सम्मान में डॉ. ललित मोहन द्वारा रचित एवं निःशुल्क वितरित विजय पथ के वीर रस प्रधान गीत जन-जन में देशभक्ति की भावना जागृत कर रहे हैं। हम इनके समाज सेवी सराहनीय कार्यों को बचपन से देख रहे हैं। विश्वविद्यालय,आकाशवाणी और अनेक क्षेत्रों में इन्होंने उल्लेखनीय कार्य किए हैं ।इस अवसर पर योगाचार्य विष्णु आर्य ने विजय पथ के रेखाचित्र आर्टिस्ट डॉ.अर्चना द्विवेदी, प्रकाशन सहयोगी शिवकुमार भीमसरिया,मुद्रण सहयोगी रूपेश विश्वकर्मा समन्वयक मनोज दुबे और डॉ ललित मोहन को सम्मानित किया । उल्लेखनीय है कि विजय पथ के गीतों की सराहना करते हुए भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह सहित देश के अनेक विशिष्ट व्यक्तियों ने शुभकामनाएं और बधाई प्रेषित की हैं।
भारत के रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने अपने संदेश में कहा कि “मुझे यह जानकर हार्दिक प्रसन्नता हो रही है कि डॉ. ललित मोहन, पूर्व एन.सी.सी. अधिकारी, एवं डीन, डॉ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय, मध्य प्रदेश द्वारा “विजय पथ” का प्रथम अंक जो 1999 में कारगिल युद्ध के दौरान प्रकाशित किया गया था, उसी क्रम में इस बार ऑपरेशन सिंदूर की सफलता से प्रेरित होकर “विजय पथ” के 25वें रजत जयंती अंक का प्रकाशन किया जा रहा है। हाल ही में आतंकवाद के खिलाफ शुरू किया गया ऑपरेशन सिंदूर हमारे लिए गर्व और प्रेरणा का एक नया अध्याय है। यह अभियान भारत की सैन्य शक्ति, रणनीतिक तैयारी और साहसिक निर्णय क्षमता का अद्वितीय उदाहरण है। माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के सशक्त नेतृत्व और दूरदर्शी मार्गदर्शन में ऑपरेशन सिंदूर ने यह स्पष्ट संदेश दिया है कि भारत अपने राष्ट्रीय हितों और नागरिकों की सुरक्षा के लिए किसी भी चुनौती का डटकर सामना करने में सक्षम है। यह केवल एक सैन्य सफलता नहीं, बल्कि राष्ट्र के आत्मविश्वास, स्वाभिमान और संकल्प का प्रतीक है।
मैं विजय पथ के 25वें रजत जयंती अंक से जुड़े सभी बंधुओं को हार्दिक बधाई देता हूं तथा इसके सफल प्रकाशन की कामना करता हूं।”