किसानों को लाभान्वित करेगी भावांतर योजना — कलेक्टर
ज्ञान गुण सागर/ सागर ।कलेक्टर संदीप जी आर ने कहा कि सोयाबीन उत्पादक किसानों के हित में प्रारंभ की जा रही भावांतर योजना को लागू करने के लिए जिला स्तर पर प्रशासनिक अमले को दायित्व दिए गए हैं। इस योजना की विशेषताओं को प्रत्येक स्तर पर प्रचारित किया जाए, जिससे अधिक से अधिक किसानों को इसका लाभ मिले। योजना की जानकारी किसानों तक पहुंचाने के लिए सांसद, विधायक एवं अन्य जनप्रतिनिधियों का सहयोग लें। अन्नदाताओं की चिंता कर सोयाबीन को निर्धारित न्यूनतम समर्थन मूल्य 5328 रूपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है। मध्य प्रदेश शासन किसानों को उनके उत्पादन का मूल्य दिलवाने के लिए प्रतिबद्ध है। जिस तरह धान और गेहूं पर किसानों को उनके परिश्रम की कीमत दिलवाने का कार्य किया गया है, उसी तरह सोयाबीन उत्पादक किसानों को भी लाभ दिलवाया जाएगा।कलेक्टर संदीप जी आर ने सोयाबीन उत्पादक किसानों के लिए लागू की जा रही भावांतर योजना की समीक्षा की। कलेक्टर संदीप जी आर ने कहा कि किसानों को उनकी उपज का सही मूल्य दिलवाने के लिए व्यवस्थाएं सुनिश्चित करें। किसी भी स्तर पर गड़बड़ी नहीं होना चाहिए। हितग्राही को सीधा लाभ मिलना चाहिए। सभी के प्रयासों से भावांतर योजना पूर्णता सफल होगी।
कलेक्टर संदीप जी आर ने कहा कि भावांतर योजना के लिए सभी आवश्यक व्यवस्था की जाएं। संबंधित अधिकारी किसानों का हित निश्चित करें। भावांतर योजना के क्रियान्वयन को प्राथमिकता दें। जिला स्तर पर नियमित समीक्षा की जाए। किसानों को सही दाम मिले, इसकी मॉनिटरिंग हो। भावांतर योजना किसानों के हित में है, इसका प्रचार-प्रसार किया जाये। पात्र किसान समय पर पंजीयन करवा लें जिससे पात्र किसान लाभ से वंचित न रहें।
10 अक्टूबर से शुरू होंगे पंजीयन
भावांतर योजना के लिए निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार प्रदेश में ई-उपार्जन पोर्टल पर पंजीयन का कार्य 10 अक्टूबर से प्रारंभ होकर 25 अक्टूबर तक चलेगा। भावांतर की अवधि 01 नवम्बर से 2025 से 31 जनवरी 2026 तक रहेगी। पंजीकृत कृषक और उनके रकबे के सत्यापन की प्रक्रिया राजस्व विभाग के माध्यम से होगी। किसानों के भावांतर की राशि पंजीयन के समय दर्ज बैंक खाते में सीधे हस्तांतरित की जाएगी।
भावांतर योजना, एक नजर में
प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान के अंतर्गत अधिसूचित तिलहनी फसल के लिए भावांतर योजना वर्ष 2018-19 से लागू की गई है। भारत सरकार ने घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) तथा राज्य के मंडी के मॉडल भाव/विक्रय मूल्य अंतर की राशि कृषकों को दिलवाने का प्रावधान किया है। किसान पूर्व की तरह अपनी उपज मंडियों में बेचेंगे। एमएसपी और मंडी का मॉडल भाव/विक्रय मूल्य के बीच के अंतर की राशि का किसान को डीबीटी से भुगतान किया जायेगा। किसान द्वारा ई-पोर्टल पर पंजीयन अनिवार्य होगा। उदाहरण के लिए किसान का उत्पादन मॉडल भाव 4600 रूपए पर हुआ है तो समर्थन मूल्य 5328 में से शेष अर्थात् भावांतर राशि 628 रूपए प्रति क्विंटल राज्य सरकार द्वारा प्रदान किए जाएंगे। किसान को समर्थन मूल्य बराबर ही राशि प्राप्त होगी। यदि किसान की उपज का विक्रय मूल्य एमएसपी से कम है परंतु राज्य के औसत मॉडल प्राइज के समतुल्य है, ऐसी स्थिति में भी किसान को एमएसपी और बिक्री मूल्य के भावांतर की राशि प्रदान की जाएगी। तीसरी स्थिति में कृषि उपज का विक्रय मूल्य राज्य के औसम मॉडल प्राइस से कम होने की दिशा में किसान को एमएसपी और घोषित औसत मॉडल प्राइस के भावांतर की राशि प्रदान की जाएगी। प्रत्येक स्थिति में किसान भाई का लाभ सुनिश्चित किया जाएगा।