सागर । डॉक्टर हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय के सेवानिवृत्त प्रो. अंबिकादत्त शर्मा को मध्यप्रदेश एवं छत्तीसगढ़ दर्शन परिषद् के 21वें अधिवेशन के अवसर पर दर्शनशास्त्र, साहित्य, अध्यात्म और समाजविज्ञान के विद्याप्रकाश से उद्दीप्त विशिष्ट विद्या व्यक्तित्व प्रो. अम्बिकादत्त शर्मा की अनवच्छिन्न निष्ठा और उसके लोकव्यापी प्रसार मे अनवद्य अकादमिक अनुरक्तता को अभिदृष्ट कर दर्शनश्री सम्मान प्रदान किया गया।
प्रो. शर्मा विश्वविद्यालय में दर्शनशास्त्र विभाग के वरिष्ठ आचार्य पद से सेवानिवृत्त होकर आचार्य शंकर सांस्कृतिक एकता न्यास, संस्कृति विभाग, मध्यप्रदेश शासन के शंकर फैलो हैं. उन्होंने वैचारिक एवं अकादमिक भूमिका के साथ ही विश्वविद्यालय के विभिन्न प्रशासनिक दायित्वों जैसे– दर्शनशास्त्र के विभागाध्यक्ष, चेयरमैन-काउंसिल ऑफ हॉस्टल वार्डन्स, चीफ प्रॉक्टर, समन्वयक-आई.क्यू.ए.सी., विद्यापरिषद् एवं कार्य परिषद के सदस्य, अधिष्ठाता-छात्र कल्याण एवं कई राष्ट्रीय समितियों के सदस्य इत्यादि का निर्वाह किया है। प्रो. शर्मा विश्वविद्यालय की शोध-पत्रिका ‘मध्य भारती’ के प्रधान सम्पादक रहे हैं तथा दर्शन प्रतिष्ठान, जयपुर से प्रकाशित पत्रिका ‘उन्मीलन’ के भी सम्पादक हैं। वर्तमान में वे अखिल भारतीय दर्शन परिषद् के अध्यक्ष पद के दायित्व का निर्वहन कर रहे हैं।
दर्शन के क्षेत्र में विशिष्ट योगदान एवं प्रगत शोधपरक गवेषणाओं के लिए उन्हें विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा रिसर्च अवार्ड, मध्यप्रदेश द्वारा नरेश मेहता स्मृति वाङ्मय सम्मान, अखिल भारतीय दर्शन परिषद् द्वारा प्रणवानन्द दर्शन सम्मान, संस्कृति विभाग, मध्यप्रदेश शासन द्वारा एकात्म पर्व सम्मान से विभूषित किया गया है। भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली एवं भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान, शिमला द्वारा विजिटिंग प्रोफेसर के रूप में नामित किया गया है । विश्वविद्यालय परिवार ने उनकी इस उपलब्धि पर बधाई एवं शुभकामनाएं प्रेषित की हैं।
मध्यप्रदेश एवं छत्तीसगढ़ दर्शन परिषद् के 21वें अधिवेशन में विश्वविद्यालय के प्रो. अम्बिकादत्त शर्मा को मिला दर्शनश्री सम्मान