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राष्ट्रीय शिक्षा नीति में आधुनिक ज्ञान के विस्तार को भारतीय दृष्टिकोण से परिभाषित करने का कार्य किया जा रहा है- विधायक शैलेन्द्र जैन

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सागर । पं. दीनदयाल उपाध्याय शासकीय कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय सागर में अतिरिक्त संचालक कार्यालय द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अध्यादेश 14 (1) एवं (2) के क्रियान्वयन पर सम्भागीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि नगर विधायक शैलेन्द्र जैन ने कहा कि शिक्षकों की समाज में भूमिका वर्तमान समय में महत्वपूर्ण विषय है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति में आधुनिक ज्ञान के विस्तार को भारतीय दृष्टिकोण से परिभाषित करने का कार्य किया जा रहा है। शिक्षक कभी न तो रिटायर होते न हो टायर्ड होते हैं। वह समाज को मार्गदर्शन देने का काम जीवन पर्यन्त करते है। महाविद्यालयों में विद्यार्थियों की उपस्थिति पंजीयन के अनुपात में हो यह सुनिश्चित करने का कार्य भी शिक्षिकों का है। शिक्षकों की भूमिका समाज के लिये समसे महत्वपूर्ण है क्यों कि एक इंजीनियर अपने जीवन में एक पुल या कुछ विल्डिंगोें को खराब करेगे लेकिन यदि शिक्षक सही नहीं हुआ तो वह एक पीढ़ी को खराब करने का काम करेगा। कार्यक्रम के आयोजक अतिरिक्त संचालक, डॉ. नीरज दुबे ने अपने स्वागत उद्बोधन में कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति भारतीय ज्ञान परम्परा के विस्तार को देने वाली है। ऐसी कार्यशालाओं से जिज्ञासाओं का समाधान होता है जिससे शिक्षकों का मनोबल बढ़ता है। विशिष्ट अतिथि डॉ. शक्ति जैन, कुल सचिव, रानी अवन्ती बाई लोधी वि.वि. सागर ने कहा कि पहले पहल राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करने में चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन बाद में नये अनुसंधानों एवं भारतीय ज्ञान के विस्तार को देने वाली बन गई। प्राचार्य डॉ. सरोज गुप्ता ने इस कार्यशाला में संभाग के प्राचार्यों को संबोधित करते हुये कहा कि हम सभी आज यह प्रशिक्षण प्राप्त कर सत्य और ज्ञान का प्रकाश प्रकीर्ण करें ताकि इस ज्योति से हमारा मध्यप्रदेश शैक्षणिक ज्ञान से आलोकित हो जाये। उद्घाटन सत्र का संचालन डॉ. अंजना चतुर्वेदी, प्राध्यापक-अर्थशास्त्र तथा आभार डॉ. रश्मि दुबे प्राध्यापक-समाजशास्त्र ने माना। प्रथम सत्र की मुख्य वक्त डॉ. इमराना सिद्दीकी ने सत्र की औपचारिक शुरूवात कर राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अध्यादेश 14 (1) के विषय में पीपीटी के माध्यम से विस्तार से चर्चा की। आपने बताया कि विद्यार्थी राष्ट्रीय शिक्षा नीति में पूर्व की भाति अपना ग्रेड सुधार करने के लिये परीक्षा में सम्मिलित हो सकते हैं। आर.के. गोस्वामी, विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी ने धारा 14 2 के विषय में बताया कि स्नातकोत्तर कार्यक्रम में एक वर्षीय एवं दो वर्षीय पाठ्यक्रम संचालित है। पाठ्यक्रम की संरचना मूल्य-संवर्धित एवं कौशल आधारित है। संभागीय कार्यशाला के द्वितीय सत्र में डिजीलॉकर विषय पर विशेषज्ञवक्ता के रूप में डॉ. प्रशांत सोनी ने बताया कि डिजी लॉकर में हम अपने जीवन वर्यन्त के समस्त प्रमाण पत्र एवं वसीयत रख सकते है यह सुविधा केवल भारतीय नागरिकों को उपलब्ध है। डॉ. स्वेता ओझा ने डिजी लॉकर के पंजीयन करने की प्रक्रिया तथा तकनीकि तथ्यों को समझाया। स्वयं पोर्टल पर चर्चा करते हुये डॉ. संतोष चढ़ार ने बताया कि ऑनलाइन शिक्षा माध्यम एक बड़े विकल्प के रूप में कोरोना काल में प्राप्त हुआ है। स्वयं पोर्टल के साथ हम अनेक अध्ययन अध्यापन की अनेक रीतियों से परिचित हुये है। विषय को आगे बढ़ाते हुये डॉ. अजय सिंह ठाकुर ने बताया कि विद्यार्थियों की गुणवत्ता में शैक्षणिक एवं गुणात्मक सुधार हेतु स्वयं पोर्टल एक आवश्यक उपागम के रूप में आवश्यक भूमिका निभा रहा है। कार्यक्रम के अंत में कार्यशाला की समीक्षा करने के लिये आये डॉ. आनंद तिवारी प्राचार्य ने कार्यशाला में व्याख्यानों समाहार किया। सत्रों का संचालन आर.के. गोस्वामी तथा आभार डॉ. ए.सी. जैन प्राचार्य ने माना। कार्यक्रम में पूर्व अतिरिक्त संचालक डॉ सुनील श्रीवास्तव पूर्व प्राचार्यगण डॉ संजीव दुबेए डॉ एस एम पचौरी डॉ पवन शर्मा संभाग के अग्रणी महाविद्यालयों के प्राचार्यगण डॉ मधु स्थापकए डॉ रंजना मिश्रा डॉ गोपा जैनए डॉ इमराना सिद्दीकी डॉ प्रतिभा जैनए डॉ जयकुमार सोनीए डॉ अमर कुमार जैन डॉ राणा कुंजर सिंहए डॉ रेणु सोलंकी राजीव समेत संभाग व जिले के महाविद्यालयों के प्राचार्य विद्वत जन उपस्थित रहे।


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