बड़नगर का गौरव- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जन्मभूमि पावन धरती और गौरवशाली विरासत
ज्ञान गुण सागर/सागर। गुजरात का बड़नगर सचमुच बड़भागी है, क्योंकि इसी पावन भूमि ने भारत को ऐसा लाल दिया जो न केवल देश का नेतृत्व कर रहे हैं, बल्कि पूरी दुनिया में भारत का नाम रोशन कर रहे है, यह भूमि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जन्मभूमि है, जिसे श्रद्धा और गर्व के साथ हर भारतीय याद करता है।
बड़नगर का इतिहास भी उतना ही गौरवशाली है जितना उसका वर्तमान, यह स्थान पौराणिक काल में प्रसिद्ध ऋषि यज्ञवल्क्य की तपोभूमि रहा है। यहां की जनता अपने अतीत की इस गौरवमयी परंपरा और वर्तमान की ऐतिहासिक उपलब्धि दोनों को समान श्रद्धा से संजोए हुए है। नरेंद्र मोदी जी ने इस नगरी को विश्वभर में प्रसिद्ध किया है और इसी कारण यहां के लोग अपने नगर को ‘गौरवस्थल’ मानते हैं। इस बात को याद करते हुए सागर सांसद डॉ. लता वानखेडे बताती है कि 15 अप्रैल 2023 को उन्हें भी इस पावन नगरी के दर्शन का सौभाग्य मिला। अवसर था कुर्मी क्षत्रिय पाटीदार महासभा के 45वें अधिवेशन का, जो विशनगर में आयोजित हुआ था, और विशनगर से मात्र 30 किलोमीटर की दूरी पर बड़नगर स्थित है। हमारे मेजबान शिवनगर निवासी जितेंद्र भाई एवं आशाबेन पटेल के सहयोग से यह यात्रा संभव हुई। सांसद वानखेड़े के लिए तो बड़नगर जाना किसी तीर्थस्थल की यात्रा से कम नहीं था। जहां माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के जीवन के संघर्ष और अनेकों प्रेरणादायी स्मृतियां आज भी मौजूद है, बड़नगर प्रवास के दौरान उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के जन्मस्थान का साक्षात दर्शन किया। संकरी गलियों में स्थित उनका घर, जहां आदरणीय मोदी जी ने अपना बचपन और किशोरावस्था बिताई, वह अपने आप में एक प्रेरणादायी स्मारक जैसा प्रतीत होता है। उस घर जिसमें माननीय मोदी जी ने जीवन के कई साल बिताए उस धरती को प्रणाम करते हुए मन में अपार श्रद्धा का भाव उमड़ा।
सांसद लता गुड्डू वानखेड़े बताती है कि हमने वह विद्यालय भी देखा, जहां नरेंद्र मोदी जी ने प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की थी। यहां की शिक्षिका श्रीमती हीराबा जो मोदी जी को पढ़ाया करती थीं, उनसे चर्चा करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ तो उन्होंने बताया कि नरेंद्र भाई बचपन से ही कुशाग्र बुद्धि और अनुशासित विद्यार्थी थे। जब वे गुजरात के मुख्यमंत्री बने, तो उन्होंने अपनी शिक्षिका का सम्मान कर आभार प्रकट किया था। शिक्षिका स्वयं को सौभाग्यशाली मानती हैं कि उनके विद्यार्थी ने देश का सर्वोच्च पद प्राप्त किया। यात्रा के दौरान हमें कई रोचक प्रसंग भी सुनने को मिले। एक कथा के अनुसार, बचपन में नरेंद्र मोदी तालाब से एक छोटे मगरमच्छ को पकड़कर घर ले आए थे। यह देखकर उनकी माता और परिवारजन घबरा गए। मां के कहने पर उन्होंने मगरमच्छ को वापस तालाब में छोड़ दिया। यह घटना उनके साहस और अदम्य जिज्ञासा का प्रमाण है।
इसी तरह बड़नगर रेलवे स्टेशन का भी भ्रमण किया, जहां कभी नरेंद्र मोदी चाय बेचकर अपने संघर्षपूर्ण जीवनयात्रा की शुरुआत किया करते थे। वह चाय की दुकान आज भी मौजूद है और देशवासियों के लिए प्रेरणा का केंद्र बनी हुई है।
भगवान हाटकेश्वर के मंदिर में भी जाने का सौभाग्य मिला। बताया गया कि मोदी जी अक्सर यहां पूजा-अर्चना करने आते थे। मंदिर के बीचों बीच स्थित तालाब में दीप प्रज्वलित कर वे भगवान से आशीर्वाद प्राप्त करते थे। इस स्थान पर खड़े होकर अनुभव हुआ कि कैसे एक साधारण बालक ने अपने पुरुषार्थ और तपस्या से असाधारण ऊंचाइयां छुईं।
सांस्कृतिक धरोहर और अविस्मरणीय अनुभव भी उन्हें बड़नगर की यात्रा के दौरान मिले जिसकी चर्चा करते हुए सांसद डॉ वानखेड़े बताती हैं कि बड़नगर की यात्रा केवल मोदी जी की स्मृतियों तक सीमित नहीं रही, बल्कि इस नगर की सांस्कृतिक धरोहर को जानने-समझने का भी अवसर मिला। यहां का घंटाघर, ऑडिटोरियम, स्मारक स्थल, तालाब-टापू, तानारीरी गार्डन आदि दर्शनीय स्थलों ने यात्रा को और भी खास बना दिया। यहां के लोग अपने नगर के बेटे को देश के सर्वोच्च पद पर देखकर गौरव से भर उठते हैं। स्थानीय निवासी बड़े ही आत्मीय भाव से आगंतुकों का स्वागत करते हैं और गर्व से बताते हैं कि उनका नगर प्रधानमंत्री की जन्मभूमि है।
इस यात्रा में मेरी सहयात्री उषा रामखेलावन पटेल, नीलू रावत, नमिता वानखेड़े और अमित पटेल भी साथ थे। सभी ने इस प्रवास को अविस्मरणीय बना दिया। मेरे लिए यह केवल एक यात्रा नहीं थी, बल्कि भावनाओं, गर्व और प्रेरणा से भरा जीवन का अद्वितीय अनुभव था, बड़नगर से लौटते समय यही अनुभूति हृदय में समाई रही कि एक छोटे से नगर और साधारण परिवार से निकला बालक कैसे अपने पुरुषार्थ, संघर्ष और समर्पण के बल पर न केवल देश का नेता बना बल्कि पूरी दुनिया में भारत का गौरव बढ़ाया। नरेंद्र मोदी जी सचमुच जननायक हैं, और उनकी जन्मभूमि बड़नगर हर भारतीय के लिए तीर्थ के समान है।