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“भुलाए भी नहीं भूल पाएंगे बड़नगर में बिताया वह एक दिन”

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सागर सांसद डॉ लता वानखेड़े पहुंची नरेंद्र मोदी की जन्मभूमि बड़नगर

सागर से विपिन दुबे/

जब मैंने गुजरात के महेसाणा जिले के बड़नगर की पावन भूमि पर कदम रखा तो मुझे अतीत और वर्तमान का वह गौरव बोध हुआ; जिसे मैं शायद शब्दों में बयां नहीं कर सकती।

यह पावन माटी तपस्वी ऋषि याज्ञवलक्य की जन्मभूमि और तपोभूमि तो है ही इसी माटी में भारत के उस चमकते सितारे नरेंद्र दामोदरदास मोदी का भी जन्म हुआ; जो आज देश का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।

सबसे पहले हम भारत माता के उस लाल के घर पहुंचे जहां “नरेंद्र” का जन्म हुआ था। इसी माटी में उन्होंने किशोर से लेकर युवा अवस्था तक अपना संघर्षमय जीवन बताया। सकरी गलियां; आसपास मंदिर और तालाब पर्यावरण से श्रृंगार किए हुए धरती मां को मैंने नमन किया।

यह सब सच साबित हुआ हमारे मेजबान विसनगर के रहने वाले जितेंद्र भाई एवं आशाबेन पटेल के साथ। जो मेरे सफर के हमसफर बने और उन्होंने मोदी के जीवन की गाथा सुनाकर सबसे पहले शिक्षा के उस मंदिर के दर्शन कराए जहां मोदी जी ने प्राइमरी की शिक्षा ली थी। उन्हें दीक्षित करने वाली वयोवृद्ध मां माता हीरा बा का सानिध्य मिला।

वे बताती हैं कि नरेंद्र बचपन से ही कुशल बुद्धि के थे। उनके मन और दिल में भारत माता के लिए कुछ करने का जज्बा बचपन से ही था। उनका दिल हमेशा देशभक्ति के लिए धड़कता था।अपने विद्यार्थी नरेंद्र को याद करते हुए वह अतीत में खो गई।

अब हम मेजबानों के साथ कुछ आगे बढ़े। प्रभु हाटकेश्वर मंदिर के दर्शन करने का सौभाग्य मिला। यहां रहने वालों ने बताया कल के नरेंद्र आज के मोदी जी यहां रोजाना पूजन करने आते थे। चंद कदमों की दूरी पर वह तालाब भी निहारा जहां बचपन में नरेंद्र अपने सहपाठियों के साथ इस तालाब में तैराकी करने के लिए आते थे।

* तालाब से मगर पकड़कर घर ले आए मोदी….मां ने डाटा

बड़नगर की सीमा से निकले इस तालाब और मोदी जी के साहस का किस्सा भी जितेंद्र भाई ने सुनाया। उन्होंने बताया एक दिन इस तालाब से मगर के बच्चे को पकड़कर नरेंद्र अपने घर ले गए। मां ने देखा तो उन्हें डांट लगाई और पुनः इसी तालाब में उस मगर को छोड़ गया। यह सच बताता है कि नरेंद्र बचपन से साहसी और निडर थे।

बड़नगर की यात्रा में हमारे साथ शामिल उषा पटेल; नीलू रावत; नमिता वानखेडे जब पग… पग मेजबानों के साथ और आगे बढ़े तो देखा बड़नगर स्टेशन के पास चर्चित चाय की दुकान आज भी है। जहां मोदी ने अपने संघर्ष के दिनों में आजीविका चलाने के लिए प्लेटफार्म पर चाय बेची थी।
स्टेशन पर तैनात कर्मचारी और वहां के लोगों ने बताया संघर्ष का जीवन जीने वाले एक साधारण परिवार से आज देश के शिखर पर अपने नाम और काम की अमिट स्याही से छाप छोड़ने वाले नरेंद्र ने यह मुकाम पुरुषार्थ और लगन के बल पर पाया है। आज भी नरेंद्र बड़नगर के लोगों के दिलों पर राज करते हैं। यहां के बच्चों को उनके माता-पिता महापुरुषों के जीवन की तरह नरेंद्र के जीवन से सीख लेने की प्रेरणा आज भी देते हैं।

एक छोटे से इस नगर में आज भी सांस्कृतिक धरोहर और पर्यावरण की चूनर उड़े धरती मां का श्रृंगार हम सभी की आंखों में बसा है। धन्य है वह बड़नगर की माटी जिसने देशभक्ति की लौ जलाने वाले राजनीति में चमकते इस सितारे को जन्म दिया।

मैं उस दिन को भी नहीं भूल पाऊंगी जब कुर्मी छत्ररिय पाटीदार महासभा के 45वे अधिवेशन में मुझे बड़नगर जाने का सौभाग्य मिला। संघर्ष से मंजिल पाने की सीख और बेहतरीन अनुभूति लेकर वापस बुंदेलखंड की पावन माटी में अपनी टीम के साथ कदम रखा। वाकई धन्य है मोदी का बड़नगर…..।

(बडनगर से लौटकर सांसद श्रीमती डॉ लता वानखेड़े ने जैसा हमारे संवाददाता विपिन दुबे को बताया)


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