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शीतलहर से बचाव को लेकर स्वास्थ्य विभाग अलर्ट, नागरिकों के लिए दिशा-निर्देश जारी – डॉ. ममता तिमोरी

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सागर । मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. ममता तिमोरी ने बताया कि प्रदेश में ठंड का असर तेज होने लगा हैं दिसंबर एवं जनवरी के बीच संभावित शीतलहर को देखते हुये शासन द्वारा दिशा-निर्देश जारी किये गये जिले की समस्त शासकीय एवं निजी मेडीकल कॉलेजों एवं अस्पतालों को अलर्ट मोड पर रखा हैं। एनडीएमए राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन नियंत्रण प्राधिकरण और भारत सरकार के एनसीडीसी राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र की पब्लिक हेल्थ एडवाजरी के आधार पर तैयार किये गये हैं। शीतलहर के दौरान हाइपोथर्मिया और फॉस्टबाइट सुन्न होना या छाले, जैसी बीमारियों जानलेवा साबित हो सकती हैं, इसलिए इलाज के साथ-साथ जन-जागरूकता और जोखिम वाले समूहों की सुरक्षा पर भी जोर दिया गया हैं।

शीतलहर एवं हाईपोथर्मिया के दिशा-निर्देश

• 65 वर्ष से अधिक आयु के बुजर्ग, 05 साल से कम बच्चे, हृदय व सांस रोगी और बेघर ज्यादा जोखिम होते हैं ।
• हाईपोधार्मिया को मेडिकल इमरजेंसी माना जाए, लक्षण दिखते ही मरीज को अस्पताल पहुंचाए ।
• फॉस्टबाइट के संकेत जैसे सुन्नता, सफेदी या काले छाले दिखे तो तत्काल चिकित्सकीय सलाह लें।
• अस्पतालों में इमरजेंसी सेवाएं, जरूरी दवाइयां, कंबल और उपकरण पर्याप्त मात्रा में रखें ।
• ठंडी हवा से बचें, अनावश्यक यात्रा न करें, संतुलित आहार लें, विटामिन-सी युक्त फल-सब्जियां और गर्म तरल पदार्थ का सेवन करें।
• पीडित व्यक्ति को यथाशीघ्र चिकित्सकीय देखभाल हेतु निकटस्थ अस्पताल में ले जायें।
•  गंभीर हाइपोथर्मिया से पीड़ित व्यक्ति बेहोश हो सकता हैं जिससे उसकी नाड़ी या सॉस की गति थीमी हो जाती है ऐसी स्थिति में तत्काल आपातकालीन सहायता प्राप्त की जाएं ।
• लंबे समय तक ठंड के सम्पर्क में रहने से त्वचा पीली सक्त, सुन्न पड़ सकती हैं तथा शरीर के खुले हिस्सों जैसे उंगलियों, पैर के पंजे, नाक अथवा कानों पर काले छाले पड़ सकते हैं जो प्रायः फोस्टबाइट के लक्षण हैं।
• शीतलहर के दौरान सर्दी-खांसी होना, नाक बहना, नाक से खुन आने जैसी कई रोग की संभावना बढ़ जाती हैं
• जिसके लिए यथाशीघ्र चिकित्सकीय परामर्श प्राप्त करें ।
• गैर-औद्योगिक भवनों के लिए तापरोधी दिशा-निर्देशों का पालन करें।

हाइपोथर्मियाः तेजी से ठंडा होने लगता हैं शरीर, हाइपोथर्मिया एक चिकित्सीय स्थिति हैं, जिसमें शरीर का तापमान सामान्य स्तर से खतरनाक रूप से कम होकर 35 डिग्री सेल्सियस या उससे नीचे चला जाता हैं यह स्थिति तब होती हैं, जब शरीर जितनी गर्मी पैदा करता हैं उससे अधिक तेजी से गर्मी खोने लगाती हैं इसमें दिल, दिमाग और अन्य अंगों की कार्यक्षमता प्रभावित होती हैं। समय पर इलाज न मिलें पर यह जानलेवा भी हो सकता हैं ।

मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. ममता तिमोरी ने शासकीय एवं निजी अस्पताल को दिशा-निर्देश जारी कर निर्देशानुसार उनका पालन सुनिश्चित करें एवं आम नागरिकों से अपील की हैं कि शीतलहर से बचाव हेतु उपरोक्त दिशा-निर्देशों का पालन कर अपने एवं परिवार के स्वास्थ्य की सुरक्षा का रखें ख्याल ।


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